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अमिताभ बच्चन जी दादा बन गए -बेटियां (जागरण जंक्शन फोरम)

फुर्सत के दिन/fursat ke din
फुर्सत के दिन/fursat ke din
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बहुत  अच्छा लगा जब पता लगा की सदी के महा नायक अमिताभ बच्चन जी दादा बन गए लेकिन उससे भी अच्छी बात ये थी कि उनकी बहू ने एक प्यारी सी परी सी बेटी को जन्म दिया क्योंकि जिस तरह हमारे समाज में कन्या भ्रूण   हत्या की कुरीति एक अमर बेल की तरह बढ़ रही है और लिंग अनुपात बिगड़ता जा रहा है  ये एक शुभ संकेत है यह एक ऐसा परिवार  है जिसे आदर्श परिवार की तरह देखा जा सकता हैऔर जिसका देश के लोग अनुसरण करते है यां करने की कोशिश  करते हैं   बेटियां यूँ तो रोज़ कंही न कहीं किसी न किसी घर में पैदा होती ही है भले ही बेटों की अपेक्षा कम ही सहीं पर होती तो है  मगर बहुत कम घर ऐसे हैं जहाँ बेटी के जन्म के बाद माहौल खुश नुमा रहता है नहीं तो ज्यादातर घरों में बेटी को बिन बुलाये महमान की तरह ही देखा जाता है बहुत से “साधन संपन घरों में तो चिकित्सकीय सुविधाओ का उपयोग (दुर उपयोग ) कर के इन्हें आने ही नहीं दिया जाता ऐसे में कहा  जा सकता है की भारत वर्ष केसबसे साधन संपन्न परिवार में बेटी का जन्म लेना रुढ़िवादी लोगों के लिए एक नजीर है और सन्देश भी की बेटियां बोझ हैं तो सिर्फ उन लोगों के लिए जो उन्हें बोझ समझ कर ही जन्म देते है और सारीउम्र  अपनी इसी मानसिकता  में अपनी रुढ़िवादी सोच का बोझ उनके ऊपर लाद देते ,जबकि बेटियां  को ख़ुशी का रूप हैं चांहे माँ के रूप में ,बहू ,पत्नी या बहन के रूप में बोझ है तो सिर्फ लोगों की अपनी सोच जो दिन ब दिन  गिरती जा रही है

उम्मीद है  अपने महानायक आदर्श ,द्वारा दिए गए इस शुभ सन्देश को हम सब समझेगे व् उनकी ख़ुशी में शामिल भी होंगे और अपने घर में भी ऐसी “खुशिया” आने दे गे उन्हें रोकेगे नहीं   ,सोचिये क्या इस महा नायक के पास इन्हें रोकने के साधन नहीं थे ?

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