फुर्सत के दिन/fursat ke din
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फिर से भारत को मेरे महान कर दो
फिर से भारत को मेरे महान कर दो
फिर से भारत को मेरे महान कर दो
रोजी रोटी का मेरी सामान कर दो
फिर से भारत को मेरे महान कर दो
रोजी रोटी का मेरी …………………..
मेरे घर इक मंदिर भी है ,मस्जिद भी है
मै सलीब पे इसा सा चढ़ाता भी हूँ
मै इंसा से क्या क्या ये बनता गया
“जीत” मुझे बस फिर से इक इन्सान कर दो
फिर से भारत को मेरे महान कर दो
रोजी रोटी का मेरी …………………..
राजनीति उनको सिखला न पाउँगा
नेता उनको हरगिज बना न पाउँगा
अब तो शायद उनको पढ़ा न पाउँगा (महगाई के कारण)
मेरे देश के बच्चों का पढना आसन कर दो
फिर से भारत को मेरे महान कर दो
रोजी रोटी का मेरी …………………..
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