फुर्सत के दिन/fursat ke din
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होलिका
जला दी होलिका
सब ने मिल कर
मगर
लाख चाह कर भी
न जल सके
द्वेष,घ्रणा, और नफरत के बीज
जो उगाये हमी ने
मिल गए सब रंग एक में
चेहरे पे लगे
धुले
फिर बह गए नालिओं में
एक साथ मिल कर
न मिल सके वो लोग
न मिट सके ,लगे दाग
इंसानियत पे
जो लगाये हमी ने
यही वजह है जो सदियो से
जला रहे है हम होलिका
पर वो जला देती है
प्रह्लाद को
बार बार
कभी अयोध्या,कभी गोधरा,तो कभी कश्मीर में
जो बनाये है हमी ने
क्या हो गयी है होलिका
इतनी रूद्र
जल जल कर
कि जला दे
सब संवेदनाये ,भाईचारा, और मेरा देश
या जलाये हैं ये सब हमी ने
MALKEET SINGH JEET
9935423754
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