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रंग(बाबूजी होली है ) – Holi Contest

फुर्सत के दिन/fursat ke din
फुर्सत के दिन/fursat ke din
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चाय ,चाय ,चाय ‘की आवाज ने मेरी नीद खोल दी |लगता है कोई स्टेशन आ गया ,आँख खुली तो सामने नीली टोपी पहने एक चाय वाला  लोगों को चाय डाल रहा था नजर टोपी से नीचे गयी तो चेहरा भी नीला ? दिमाग चकरा गया ,फिर मैंने पूंछ ही लिया भाई नीली टोपी क्यों -जवाब-बाबूजी होली है ;
वो तो ठीक है  चेहरा ?
फिर वाही जवाब -बाबूजी होली है बाबूजी चाय लेंगे ?
मैंने कहा डाल दो ,पर जैसे ही उसने चाय डाली मई दांग रह गया और बोला भाई टोपी ठीक है, चेहरा भी ठीक है, पर चाय ? चाय तो पहले ही रंगीन होती है ,दूध डालो तो गुलाबी न डालो तो काली रंग तो रंग ही है फिर नीली चाय क्यों “मै सोच रहा था फिर वाही जवाब मिले गा -बाबूजी होली है -पर नहीं इस बार जवाब बदल गया -चाय वाले ने इधर उधर देखा मुह मेरे कान के पास लाया और धीरे से फूस फुसाया -बाबूजी u p  है  !!!!
मै कुछ और पूछता उससे पहले वह ट्रेन से उतर चूका था |
मलकीत सिंह “जीत ”
9935423754

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