फुर्सत के दिन/fursat ke din
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“जीत” जहाँ हर आँख हो नम
क्या रंग बिखेरूं खुशियों के
हरसू हरसू गम का मौसम
क्या रंग बिखेरूं खुशियों के
दुःख से बोझिल तन,मन ,आतम
क्या रंग बिखेरूं खुशियों के
हर दिल में “सुनामी” का मातम
क्या रंग बिखेरूं खुशियों के
अब हाँथ उठे ,ये दुया करे
महके खुशियों से हर मन
तब रंग बिखेरूं खुशियों के
तब दीप जलाएं खुशियों के
मलकीत सिंह “जीत ”
9935423754
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